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लेखनी कहानी -29-Nov-2022

यादों का सिलसिला

तेरी मुहब्बत में सनम इस कदर दीवाने हो गए हम!
यादों को संजोते-संजोते यादों के सिलसिले में खो गए हम!

वो तेरी कदमों की आहट पर जान निसार करना,
वो तेरे होने के अहसास से ही दिल का धड़कना ,
लेकर तेरा नाम एक नई सुबह को तकना, 
रात होते ही तेरी यादों के सहारे करवटें बदलना।

मेरा रूठना वो तेरा प्यार से मनाना,
हाथ में ले मेरा हाथ उलझने मिटाना,
प्रेम समंदर में संग तेरे डुबकी लगाना ,
मायूस मन में खुशियों की बारिश करना।

यादों के सफर को तेरे साथ याद करना,
देख चाँद को पिया तेरी बाते याद करना,
न चाहते हुए भी यादों के भँवर में खो जाना,
कुछ धूमिल सी यादों को भी याद करना।

न जाने क्या क्या यादें कड़ियों में जोड़ते जा रहे हम!
बिन सोचे बिन समझे न जाने क्यों यादों के सिलसिलों में खोते जा रहे हम।

श्वेता दूहन देशवाल
मुरादाबाद उत्तर प्रदेश 
#यादों का झरोखा

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1 Comments

Rajeev kumar jha

30-Nov-2022 11:49 AM

बेहतरीन अभिव्यक्ति

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